भस्त्रिका प्राणायाम
जब भी हम कोई शारीरिक व्यायाम करते हैं तब हमारा शरीर और ज्यादा ऊर्जा की मांग करता है, जो हमारे हृदय को संकेत भेजता है जिस कारण-वश हमारे हृदय की गति बढ़ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं की हमारे शरीर के बिना मांगे अत्यधिक ऊर्जा मिलती है जब हम भस्त्रिका प्राणायाम करते हैं। भस्त्रिका का शाब्दिक अर्थ धौंकनी होता है। अंग्रेज़ी में इसे BELLOWS BREATHING TECHNIQUE कहा जाता है। जिस तरह लोहार धौंकनी की मदद से ऊष्मा को बढ़ाने के लिए तेज़ गति एमई हवा देता है और लोहे को तपा कर उसकी अशुद्धियाँ दूर करके उसको आकार देता है उसी तरह भस्त्रिका करने से शरीर की सभी अशुद्धियाँ और नकारात्मकता को बाहर निकाला जाता है।
भस्त्रिका प्राणायाम की विधि:
१. सुबह का समय अति-उत्तम होता है इस अभ्यास को करने के लिए।
२. किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाइए।
३. अपने शारीर को स्थिर अवस्था में ले कर आइए।
४. आपका पीठ रीढ़ की हड्डी एवं गला एक सीध मे हो।
५. अपने दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी तरह सांस अंदर लें। पूरी सांस अन्दर लेने के बाद, दोनों नासिका छिद्रों से एक गति से पूरी सांस को बाहर निकालें। सांस अंदर लेने और छोड़ने की गति “धौकनी” की तरह तीव्र होनी चाहिए और सांस को पूर्ण रूप से अन्दर और बाहर लेना चाहिए।
६. भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस अंदर की और लें तब फेंफड़े फूलने चाहिए। और जब सांस बाहर त्याग करें तब फेंफड़े सिकुड़ने चाहिए।
७. भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस शरीर के अंदर लें तब मस्तिष्क पर ध्यान लगाएं और अपने आसपास अलौकिक शांति और शुद्धता का आभास करें तथा अपने चित्त को प्रफुल्लित कर के आंतरिक खुशी का आभास करें और ऐसा महसूस करें की आप के आसपास और समस्त ब्रह्मांड में मौजूद लाभदायी तत्व आप के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। इस प्रकार की मानसिक सोच के साथ अगर भस्त्रिका प्राणायाम किया जाए तो उसका लाभ कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ:
१. मन और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। शरीर में फुर्ती लाता है।
२. भस्त्रिका प्राणायाम के रोज़ अभ्यास से टीबी, कैंसर, दमा और दूसरे भयानक रोगों को ठीक करने में काफी सहायक है और फेफड़े भी मज़बूत होते है।
३. भस्त्रिका करने से शरीर में OXYGEN की कभी कमी नहीं होती।
४. मोटापे की समस्या दूर होती है।
५. पाचन शक्ति बढ़ाता है और रक्तचाप को सामान्य रखने में सहायक है।
भस्त्रिका प्राणायाम की सीमाएं :
गर्मी के मौसम में सुबह के समय ही करना चाहिए और ज्यादा तीव्र गति मे करने से बचना चाहिए क्यूंकी इस अभ्यास से अत्यधिक ऊर्जा का संचार होता है।
गर्भवती महिला, हर्निया के रोगी, हृदय रोगी, मिर्गी के रोगी, पथरी के रोगी, अल्सर के रोगी, उच्च रक्त चाप के रोगी, सायनस के रोगी, मस्तिष्क आघात रोगी (brain stroke patient)…. को यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम करते समय जी गबराने लगे, चक्कर आने लगे, उल्टी आने लगे, या किसी भी असामान्य अवस्था का आभास होने लगे तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए|
अगर किसी व्यक्ति को नाक से संबंधी या पेट से जुड़ी एलर्जी हों तो, उन्हे भस्त्रिका प्राणायाम केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। नाक की हड्डी टेड़ी हों, या बढ़ रही हों उन्हे भी डॉक्टर की सलाह ले कर ही भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
उम्मीद करता हूँ की मेरी दी गयी जंकारियों से आपको और आपके परिवार को लाभ अवश्य मिलेगा।
खुश रहिए , मुसकुराते रहिए, रोज़ योग कीजिये। कोरोना से बचने के लिए समय समय पर हाथ ढोते रहिए और अपने घर की साफ सफाई करते रहिए। धन्यवाद !
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